आज वैलेंटाइन डे है , है न !
फ्रैंडशिप डे,मदर्स डे,फादर्स डे भी .
वाइफ डे, हस्बैंड्स डे और ब्रदर्स, सिस्टर्स डे
भी होता ही होगा ,
मुझे, शायद पता नहीं .
मैंने तो कभी मनाया नहीं .
क्या करते हैं , इन दिनों को मनाने में ?
वह दिन ! उस रिश्ते के नाम कर देते होंगे, शायद .
करते हैं क्या,
शेष दिन ?
यहाँ तो –
पत्नियों के लिए हर दिन हस्बैंड डे ही होता है .
भाई -बहन ,माँ-बाप और दोस्तों के बिना तो
हमारा जीवन ही नहीं होता,
इनके लिए साल में बस एक दिन ?
विशेष ही सही,
इनका अपमान तो नहीं .
बहुत याद आ रही है –
ज्योति,अनीता ,गुड्डी और रीता की –
इनसे शायद ही कभी छठे -छमाहे बात होती हो ,
लेकिन इन्हें मैं कभी भूल भी नहीं पाती.
पिताजी नहीं रहे , क्या मुझमें वे नहीं हैं ?
फिर किसके लिए फादर्स डे ?
बड़े भैया से साल में एक-दो बार ही बात होती होगी ,
लेकिन बसे रहते हैं वे मेरे चेतन-अचेतन में.
और, जहाँ राधा- कृष्ण की प्रेम गाथा हो ,
वहाँ वैलेंटाइन डे ?
प्रोफेसर पूनम कुमारी
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय