साहित्य और समाज की भिन्नता और अंतर्संबंध
साहित्य की परिकल्पना मनुष्य ने अपनी आदिम अवस्था में ही तय कर ली थी, हालांकि उसका स्वरूप लिखित न होकर मौखिक, चित्रित और पूर्णतः असम्बद्ध था। भीमबेटका के भित्तिचित्रों में उत्सव मनाते और शिकार करते आदि मनुष्यों के चित्रों ने एक आदिम कहानी को ही तो गुफा के निर्जीव पत्थरों आगे पढ़ें..