जनम ले रहा है एक नया पुरुष-1 साहित्य जन मंथन

जनम ले रहा है एक नया पुरुष-1

सृष्टि की पहली सुबह थी वह! कहा गया मुझसे तू उजियारा है धरती का और छीन लिया गया मेरा सूरज! कहा गया मुझसे तू बुलबुल है इस बाग़ का और झपट लिया गया मेरा आकाश! कहा गया मुझसे तू पानी है सृष्टि की आँखों का और मुझे ब्याहा गया रेत आगे पढ़ें..