कोरोना है एक महामारी

कोरोना है एक महामारी साहित्य जन मंथन

कोरोना है एक महामारी
पड़ी है सब जन पर आज भारी
ख़ुद-ब-ख़ुद चिंतन सबमें
सता रही आज बारी बारी
कोरोना है एक महामारी…
त्राहि-त्राहि है हर ओर
इन्सान शरीर रहा है छोड़
कितनी मौतें कितनी लाशें
आंकड़े की है सब बातें
फैल रहा है सभी ओर
कोरोना है बेजोड़ हर ओर
दवा नही है अभी इसका तोड़
कोरोना है एक महामारी…
विपत्ति जब आती है
कहीं वैर कहाँ रह जाती है
भूलकर नफरत मिलकर साथ
सब हाथ बढ़ाये गठजोड़
संपदा है असीमित भू-भाग
भरा पड़ा है पूरा संसार
सबसे बढकर है इन्सान
कोरोना है एक महामारी…
संकरी गलियां चौड़ी सड़के
रेल, बस सारे स्टेशन
पड़ा है खाली-खाली
भीड़ से बचकर
भीड़ से डटकर
खुद-ब-खुद को बचा लो
कोरोना है एक महामारी…
डब्लू.एच.ओ. से जारी निर्देश
अब जल्दी अपना लो
इन्सान बनकर इंसानियत बचा लो
कोरोना-कोरोना छोड़ कर रोना
अपनी जिम्मेदारी अपना लो
मानवता की खातिर अब
अपनी हिस्सेदारी बढ़ा लो
कोरोना है एक महामारी…


अभिषेक कुमार यादव
दिल्ली विश्वविद्यालय

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