अगर इन्हें जीवन मिल पाता

अगर इन्हें जीवन मिल पाता साहित्य जन मंथन

अगर इन्हें जीवन मिल पाता
समृद्ध होती मेरी भारत माता
सूर वीर के बलिदानों की
खून से लिखनी है अब गाथा

हिन्द हिमालय, मुस्लिम मंदिर
वर्षों से है खून का नाता
तड़प रही है भारत माता
अगर इन्हें जीवन मिल पाता

भक्त खून करके है नहाता
मंदिर चढकर टेके माथा
हर स्वर में है भाग्यविधाता
अगर इन्हें जीवन मिल पाता

सुद्रण हो भारत की काया
चारों तरफ से फसी है माया
हक उनको दिलाने की कहा था
अगर इन्हें जीवन मिल पाता

विकास सांस अब ले नहीं पाता
दीवारों के पीछे चिनबाता
हिस्सेदारी में वह आता
अगर इन्हें जीवन मिल पाता

गरीब सड़क पर झाड़ू लगता
दिल से गीत प्रेम के गाता
बाग में जो एक कमल खिला था
अगर इन्हें जीवन मिल पाता

देश का हित क्या है ये कहा था
नदियों में जब खून बहा था
अमर देश को वो कर जाता
अगर उन्हें जीवन मिल पाता।।

नोट:- कविता में प्रतीकों की सहायता ली गयी है।

पवन कुमार

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