लिख लेता हूँ
हर रोज कलम उठा लेता हूँ,दर्द कहता नहीं लिख लेता हूँजब जब उठती हैं यदों की लहरें,अपने दिल को समझा लेता हूँ, दर्द कहता नहीं लिख लेता हूँ..पलकों के बन्धन में बांध लेता हूँआंख मूंद तस्वीर बना लेता हूँ,वो बन उच्छवास छिपते मेरी सांसों में, देख उन्हें सांसें थाम लेता आगे पढ़ें..