Malay Nirav ki kavitayen
जब मैं
प्रेम
लिखना चाहता हूँ तब
मेरी कलम वेदना लिख देती है
और जब
मैं चाहता हूँ
कि
लिखूँ
वेदना तब
मेरी कलम लिख देती है
प्रेम
अब
इस उलझन से परे
एक समझौता
हो बैठा है
मैं और कलम के बीच
दोनों ही
उन्मुक्त हो
निर्द्वन्द्वपूर्वक
खबर
लिख लेते हैं।
मलय नीरव
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