लिंगवाद विरोध का प्रतीक अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

लिंगवाद विरोध का प्रतीक अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस साहित्य जन मंथन

8 मार्च को प्रत्येक वर्ष पूरे विश्व भर में महिला दिवस मनाया जाता है। वास्तव में यह दिवस महिलाओं को उनके योगदान को मान्यता देने के लिए मनाया जाता है। जनसंख्या के आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं की आबादी पूरे विश्व में आधी हैं, फिर भी हमारे समाज में उनको उचित दर्जा और स्थान प्राप्त नहीं है । उन पर कई तरह के अत्याचार किए जाते हैं, इसी बात को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्रीय संघ ने 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है। इस दिन पूरे विश्व में महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाता है। इसी कारण इस दिवस को लिंगवाद दिवस का प्रतीक भी माना गया है, जिससे महिलाओं को भी बिना लिंग वाद के पुरुषों के समान प्रत्येक क्षेत्र में बराबर अधिकार देने के लिए जागरूक किया जाता है। हमारे देश में भी महिलाओं की प्रगति और उत्थान के लिए भी नए-नए कार्यक्रम चलाए जाते हैं ,इसी उपलक्ष्य में, 1996 में भविष्य के लिए योजना ,1997 में महिला और शांति तालिका, 1998 में महिला और मानवाधिकार, 1999 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा से मुक्त दिवस, 2000 में शांति के लिए एकजुट महिलाएं ,2001 में महिला और शांतिः महिला का संघर्ष प्रबंधन, 2002 में आज की अफगान महिलाः वास्तविकता और अवसर ,2003 में लिंग समानता और स्त्री विकास लक्ष्य, 2004 में महिला और एचआईवी , 2005 में लिंग समानता :अधिक सुरक्षित भविष्य का निर्माण, 2006 में निर्माण लेने में महिलाएं ,2007 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करना, 2008 में महिला और लड़कियों में निवेश, 2009 में महिला हिंसा को समाप्त करने के लिए महिला और पुरुष एकजुट, 2010 में समान अधिकार, 2011 में शिक्षा, परीक्षण एवं विज्ञान में समान पहुंच, 2012 में ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना, 2013 में वचन देना एक वचन है, 2014 में महिलाओं के लिए समानता, 2015 में महिला सशक्तिकरण, 2016 में लैंगिक समानता, 2017 कार्य की बदलती दुनिया में महिलाएं ,2018 ग्रामीण और शहरी कार्यकर्ता  द्वारा महिलाओं के जीवन में  बदलाव, 2020 में नारी सशक्तिकरण के नए उपलक्ष्य में है, मैं जनरेशन इक्वेलिटी महिलाओं के अधिकारों को महसूस कर रही हूं वास्तव में महिलाओं के प्रति हमारी जिम्मेदारियों को याद दिलाता है, हम सब को मिलकर महिलाओं को भी उनका अधिकार दिलाने के लिए कार्यरत रहना चाहिए। वर्तमान युग को नारी के उत्थान का युग कहां जाए, तो कोई अतिकथनी नहीं होगी, आज हमारे देश भर की महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी विजय की पताका फैला रही है और मौजूदा सरकारी भी महिलाओं को हर क्षेत्र में अपना भविष्य निर्माण करने का अवसर उपलब्ध करा रही है। महिलाओं के संदर्भ  में जयशंकर प्रसाद की एक खूबसूरत कविता भी है :- नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नग पग तल में ,पीयूष स्रोत सी बहा करो, जीवन के सुंदर समतल में। 

अमित डोगरा, शोधार्थी (पीएच.डी)
गुरु.नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर

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