नव वर्ष भारतवर्ष में ही नहीं पूरे विश्व में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है मगर नव वर्ष में क्या हमने कभी नव वर्ष के साथ अपनी सोच को बदला,अपने विचारों को अग्रसर किया,अपनी गंदी नियत को साफ किया,बेमतबल के धर्म के नाम पर होने वाले लड़ाई झगड़ों को बंद किया, नहीं बिल्कुल भी नहीं फिर नव वर्ष कैसा? नव वर्ष तब ही माना जाएगा जब हम अपनी और अपने से जुड़े लोगों की सोच को बदलने की कोशिश करेगी पुरातन घिसी पिटी सोच की परिपाटी का त्याग करेंगे। हर साल मासूम बच्चियों और नव युवतियों का शोषण होता है, बलात्कार होता है ,क्या यह कभी रुका।कभी भी नहीं बल्कि यह दुष्कर्म दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। दुष्कर्म करने वाले दरिंदे कोई बाहर से नहीं आते। हम लोगों के बीच में ही होते हैं जो यह सब करते हैं मगर फिर भी इन पर लगाम लगने के स्थान पर इनका उत्साह हमेशा बड़ा ही है,उस पर कभी लगाम नहीं लगी। हर वर्ष कितनी ही नव विवाहित युवतियों को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता है और बहुतों को जला भी दिया जाता है मगर यह सिलसिला भी हर वर्ष की तरह बढ़ता ही जा रहा है। हर वर्ष धर्म के नाम पर कितने ही लड़ाई झगड़े होते बहुत सारे लोग मारे जाते हैं क्या इस पर कभी लगाम लगी क्या हमने धर्म की सही स्थिति को अपने दिमाग में स्थित किया क्या हमने कभी समझा कि धर्म कभी किसी का खून बहाना नहीं प्रेम करना सिखाता है। वास्तव में नव वर्ष हमारे अंदर नए विचारों का आगमन होना चाहिए।हमारे अंदर इंसानियत के लिए प्रेम स्नेह होना चाहिए। कहते हैं परिवर्तन संसार का नियम है फिर हम नए साल में अपने बुरे विचारों को परिवर्तित कर अच्छे विचारों में क्यों नहीं सामने लेकर आते। हमें अपने विचारों को इस नव वर्ष में बदलना होगा फिर हम यह सोचते हैं हमारे अकेले की बदलने से क्या होगा मगर जब हम बदलते हैं अच्छे बनते हैं तो हम से जुड़े हुए लोग भी हम जैसे बनने की कोशिश करते हैं मगर अगर हम ही घिसी पिटी पुरातन विचारों की पद्धति का अनुकरण करेंगे तो हम से जुड़े हुए लोग और हमारी पीढ़ी भी वैसा ही करेगी हमें पहले खुद को बदलना है इसके बाद देश को बदलने की बात करनी है।
अंत में मैं यही कहूंगा आओ हम सब मिलकर संकल्प करें कि इस नव वर्ष में हम अपनी सोच को बदलेगे कभी भी अन्याय को सहन नहीं करेंगे।धर्म के नाम पर आडंबर नहीं करेंगे कभी भी किसी की बेटी को गलत नीयत से नहीं देखेंगे।कभी भी अत्याचार होते व्यक्ति पर हंसेगे नहीं बल्कि उसका साथ देंगे।कभी भी दहेज के लिए किसी भी युवती को प्रताड़ित होते देखेंगे तो उसका साथ देकर उसे न्याय दिलाएंगे।आओ नव वर्ष में संकल्प लें अगर किसी के साथ गलत होता है तो हम उठ खड़े होंगे।सब एक साथ मिलकर देश में बढ़ रहे दुष्कर्मों पर लगाम लगाएंगे। तभी हमारा नव वर्ष सार्थक होगा।
राजीव डोगरा
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश (युवा कवि लेखक)
(भाषा अध्यापक)