रत्नकुमार सांभारिया की कहनी ‘शर्त’ में दलित और संभ्रांत वर्ग
दलित साहित्य के महान सामाजिक क्रांतिकारी एवं वैज्ञानिक विचार के आलोक स्तंभ बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर के शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो के मूलमंत्र की आधारशीला पर रचा गया साहित्य, दलित साहित्य है । भारतीय समाज में ‘जाति’ नामक दीमक लग गई है । जो मनुष्य को मनुष्य आगे पढ़ें..