भजन साहित्य जन मंथन

भजन

तीलक लगौने धनुष कान्ह पर टूटा बालक ठाढ़ छै / विद्यापति तीलक लगौने धनुष कान्ह पर टूटा बालक ठाढ़ छैघुमि रहल छै जनकबाग में फूल तोरथ लेल ठाढ़ छैश्याम रंग जे सबसँ सन्नर से सबहक सरदार छैनाम पुछई छै राम कहै छै अबध के राजकुमार छैधनुष प्रतीज्ञा कैल जनकजी के आगे पढ़ें..

महेशवाणी आ नचारी साहित्य जन मंथन

महेशवाणी आ नचारी

1.एत जप-तप हम की लागि कयलहु / विद्यापति एत जप-तप हम की लागि कयलहु,कथि लय कयल नित दान।हमर धिया के इहो वर होयताह,आब नहिं रहत परान।नहिं छनि हर कें माय-बाप,नहिं छनि सोदर भाय।मोर धिया जओं ससुर जयती,बइसती ककरा लग जाय।घास काटि लऔती बसहा च्रौरती,कुटती भांग–धथूर।एको पल गौरी बैसहु न पौती,रहती आगे पढ़ें..